Ashwini Mudra in Hindi | अश्विनी मुद्रा के 11 फायदे, विधि और सावधानियां
Ashwini mudra in hindi : योग में कई ऐसे आसन, प्राणायाम और मुद्राएं है जो बहुत ज्यादा प्रचिलित है और लोग उनका नियमित अभ्यास भी करते हैं। लेकिन इसके साथ-साथ योग की कुछ मुद्राएं ज्यादा प्रचिलित नहीं है, लेकिन इनके लाभ गजब के हैं। अश्विनी मुद्रा भी योग की एक ऐसी ही मुद्रा है, जो ज्यादा प्रचिलित नहीं हैं, बहुत कम लोग इसके बारे में जानते हैं। लेकिन जब आप अश्विनी मुद्रा के लाभ (ashwini mudra ke labh) जानेंगे तो आप भी इस मुद्रा के अभ्यास के बारे में जरूर सोचेंगे। यह योग की बेहतरीन योग मुद्राओं में से एक है।
अश्विनी संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ घोड़ा होता है। इसके नाम से ही जाहिर हो जाता है की इस मुद्रा का संबंध कहीं न कहीं घोड़े से है। ऐसा माना जाता है की इसके नियमित अभ्यास से शरीर में घोड़े जैसी ऊर्जा और शक्ति का आगमन होता है। अश्विनी मुद्रा के फायदे (ashwini mudra benefits in hindi) यौन समस्याओं के लिए भी बेहद असरदार हैं, अगर सही विधि से इसका अभ्यास किया जाए तो यह क्रिया यौन समस्याओं को दूर करने में काफी मदद कर सकती है।
अश्विनी मुद्रा क्या है (ashwini mudra in hindi), इसका संबंध घोड़े से कैसे हैं, अश्विनी मुद्रा के फायदे (ashwini mudra benefits in hindi), अभ्यास की सही विधि और सावधानियों के बारे में हम इस आर्टिकल में संक्षेप में जानेंगे। पूरी उम्मीद है की इस आर्टिकल को पूरा पढ़ने के बाद आप अश्विनी मुद्रा को अच्छी तरह समझने लगेंगे।
अश्विनी मुद्रा क्या है – Ashwini Mudra in Hindi

अश्विनी मुद्रा (Asvini Mudra in hindi) का अर्थ हैं ” घोड़े की मुद्रा ” या घोड़े द्वारा किए जाने वाले एक प्रकार के खास कार्य से है। क्या आपने कभी सोचा है जब भी स्टैमिना, शक्ति और ऊर्जा की बात आती है तो हमेशा घोड़े (horse power) का ही उदहारण क्यों दिया जाता है। शेर या हाथी का उदाहरण क्यों नहीं दिया जाता। शायद कुछ लोगों को यह ज्ञात न हो। लेकिन प्राचीन काल में हमारे ऋषि-मुन्नियों ने घोड़े की इस शक्ति का राज खोज निकाला था।
घोड़े की ऊर्जा और स्टैमिना का राज उसकी एक खास आदत में छुपी हुई होती है। अगर आपने कभी गौर किया हो तो घोडा हमेशा ही अपने गुदाद्वार (anus) को खोलता और बंद करता रहता है यानी बार-बार गुदाद्वार को सिकोड़ता है और ढीला छोड़ता है। घोड़े की यही आदत और क्रिया उसे अन्य प्राणियों से ज्यादा ताकतवर, शक्तिशाली और ऊर्जावान बनाती है और घोड़े की इसी क्रिया को अश्विनी योग मुद्रा (Ashwini yoga mudra in hindi) का नाम दिया गया।
अश्विनी मुद्रा (ashwini mudra) का अभ्यास करके हम भी घोड़े जैसी शक्ति, ऊर्जा व स्टैमिना हासिल कर सकते हैं। साथ ही इसके अभ्यास से कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं को भी दूर किया जा सकता है। अश्विनी मुद्रा के फायदे (ashwini mudra ke fayde) मलद्वार, योनि, लिंग और पेट से संबंधित बीमारियों के लिए काफी फायदेमंद माने जाते हैं। आइये अश्विनी मुद्रा कैसे करते हैं, इसके बारे में जानते हैं।
अश्विनी मुद्रा कैसे करें – Ashwini Mudra Kaise Kare in Hindi
अश्विनी मुद्रा करने की विधि थोड़ी जटिल है, इसलिए हम इसे आसान शब्दों में समझाने की कोशिश करेंगे जिससे आपको इसकी विधि आसानी में समझ आ सके।
- अश्विनी मुद्रा करने के लिए आप किसी शांत जगह का चुनाव करें
- सबसे पहले जमीन में चटाई बिछाकर आराम से सुखासन या पद्मासन में बैठ जाए
- गहरी लंबी सांस ले और अपना पूरा ध्यान अपनी सांसों पर केंद्रित करें
- अपनी सांसों को सामान्य करें
- अब अपने ध्यान को सांसों से हटाकर गुदाद्वार (anus) की और ले जाएं
- मलद्वार को अंदर की तरफ सिकोड़े और कुछ देर इसी अवस्था में रहे (जितनी देर रह सकते हैं) फिर मलद्वार को धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में ले आए
- यह प्रक्रिया लगातार करते रहें, जितनी देर आप कर सके
- बस किसी प्रकार की कोई जोर जबरदस्ती न करें
अश्विनी मुद्रा के फायदे – Ashwini Mudra Benefits in Hindi
नियमित अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करने से कुछ ही दिनों में आपको इसके फायदे अपने आप ही दिखने लगेंगे। अश्विनी मुद्रा के लाभ इतने कारगर हैं की कुछ बीमारियों में डॉक्टर और योग गुरु भी इसको करने की सलाह देते हैं।
1. अश्विनी मुद्रा के निरंतर अभ्यास से पेट और पेट के नीचे की मांसपेशियां मजबूत होती हैं जिससे मलद्वार, योनि, लिंग और पेट से संबंधित बहुत सी परेशानियां दूर होती है।
2. अश्विनी मुद्रा (ashwini mudra) पुरषों के लिए एक बहुत ही अच्छी एक्सरसाइज है, इसके निरंतर अभ्यास से पुरषों की शिग्रपतन की समस्या दूर हो सकती है। अश्विनी मुद्रा से श्रोणि की मांसपेशियों में खिंचाव पड़ता है जिससे श्रोणि मसल्स मजबूत होती है और शरीर में यौन शक्ति का विकास होता है।
3. अश्विनी मुद्रा (ashwini mudra) करने से शरीर में घोड़े जैसी शक्ति आती है, शरीर की कमजोरी दूर होती है और शरीर में ऊर्जा व स्टैमिना का विकास होता है। घोड़े की ऊर्जा का भी एक सबसे बड़ा कारण अश्विनी मुद्रा ही है।
4. अश्विनी मुद्रा सेहत बनाने में भी बहुत फायदेमंद होती है। इसे करने से शरीर की कमजोरी और आलस दूर होकर शरीर में शक्ति और ऊर्जा का विकास होता है।
5. बवासीर के लिए अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra for Piles in hindi) बहुत ज्यादा लाभकारी मानी जाती है। कहा जाता हैं की अश्विनी मुद्रा के नियमित अभ्यास से गुदाद्वार से संबंधी कोई रोग नहीं होता। साथ ही बवासीर, अर्श व भगंदर के लिए अश्विनी मुद्रा करना अच्छा होता है।
6. अगर आपको पाचन से संबंधित परेशानी है तो आपके लिए अश्विनी मुद्रा का निरंतर अभ्यास फायदेमंद हो सकता है। इसे करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और खाया पिया भी शरीर में लगने लगता है।
7. चेहरे में तेज बढ़ाने के लिए भी अश्विनी मुद्रा का अभ्यास अच्छा होता है। इसके निरंतर अभ्यास से चेहरे का ग्लो बढ़ता है और चेहरे की विभिन्न समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।
8. अश्विनी मुद्रा (Ashwini yoga mudra in hindi) करने से बार-बार पेशाब आना, रुक-रुक कर पेशाब आना और रात को बिस्तर पर पेशाब करना जैसी बीमारियों में फायदा होता है।
9. स्वप्नदोष की बीमारी से निजात पाने के लिए भी अश्विनी मुद्रा लाभदायक है।
10. पेट की समस्याओं के लिए भी अश्विनी मुद्रा के फायदे (ashwini mudra ke fayde in hindi) अच्छे है। अश्विनी मुद्रा करने से पेट की गैस, एसिडिटी, कब्ज, अपच,जलन और पेट के दर्द में आराम मिलता हैं।
11. तनाव कम करने और स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए भी अश्विनी मुद्रा फायदेमंद (benefits of ashwini mudra in hindi) हैं।
अश्विनी मुद्रा में सावधानियां – Ashwini Mudra Precautions in Hindi
- अश्विनी मुद्रा का अभ्यास हमेशा खाली पेट ही करना चाहिए, या भोजन करने के कम से कम 4-5 घंटे बाद ही इसका अभ्यास करना चाहिए।
- मल-मूत्र त्यागने के बाद ही इसका अभ्यास करें।
- अश्विनी मुद्रा अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही करें, इस मुद्रा को करते समय किसी प्रकार की कोई जोर जबरदस्ती न करें।
- अगर आपको मलद्वार और पेट से सम्बंधित कोई गंभीर बीमारी हैं तो अपने डॉक्टर की सलाह से ही अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करें।
- इसके साथ ही गंभीर शारीरिक रोग में भी डॉक्टर की सलाह से ही अश्विनी मुद्रा करें।
- गर्भवती महिलाएं के लिए भी अश्विनी मुद्रा का अभ्यास वर्जित होता है।
अश्विनी मुद्रा और वज्रोली मुद्रा में क्या अंतर हैं
अश्विनी मुद्रा की तरह वज्रोली मुद्रा भी स्वस्थ और फिट रहने के लिए एक अच्छी योग मुद्रा है। वज्रोली मुद्रा के फायदे भी कुछ हद तक अश्विनी मुद्रा जैसे ही हैं। कुछ लोग अश्विनी मुद्रा और वज्रोली मुद्रा में अंतर पता नहीं लगा पाते हैं और दोनों को एक ही योग मुद्रा समझ बैठते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। वज्रोली मुद्रा और अश्विनी मुद्रा में एक सूक्ष्म सा अंतर हैं।
अश्विनी मुद्रा में गुदाद्वार को संकुचित किया जाता है जबकि वज्रोली मुद्रा में अंडकोष और गुदाद्वार के बीच के हिस्से को संकुचित किया जाता है। इसके साथ ही वज्रोली मुद्रा की अन्य विधियां भी हैं जो बहुत ज्यादा जटिल है, इसमें लिंग के छेद से पानी, दूध और शहद को ऊपर की और खींचा जाता हैं। इस विधि को केवल योग में माहिर लोग ही कर सकते हैं, इसका अभ्यास आम लोगों को नहीं करना चाहिए।
सारांश
अश्विनी मुद्रा योग (ashwini mudra yoga in hindi) एक बहुत की प्रभावशाली योग मुद्रा है, फिर भी बहुत कम लोग इसके बारे में जानकारी रखते हैं। अश्विनी मुद्रा मुख्यतः हमारे पेल्विक एरिया को मजबूत बनाता हैं जिसका संबंध यौन क्रिया और गुदाद्वार से होता है। इसके निरंतर अभ्यास से यौन और गुदाद्वार से संबंधी समस्याएं दूर होती हैं साथ ही पेट और मानसिक बीमारियों के लिए अश्विनी मुद्रा फायदेमंद हैं।
इस आर्टिकल में हमने अश्विनी मुद्रा के फायदे (Ashwini mudra benefits in hindi), अश्विनी मुद्रा कैसे करें और अश्विनी मुद्रा वज्रोली मुद्रा से कैसे भिन्न हैं के विषय में जाना। उम्मीद है की आपको हमारा यह आर्टिकल Ashwini mudra in hindi पसंद आया होगा और आपने इससे कुछ नया सीखा होगा।